
दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के लगभग चार साल पुराने एक मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ‘‘कड़ियों’’ को जोड़कर उसका अपराध साबित किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विजय शंकर 29 फरवरी 2020 को पश्चिमी दिल्ली के एक इलाके में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में सुनवाई कर रहे थे।
अतिरिक्त लोक अभियोजक चंदर कीर्ति नेगी ने दलील दी कि आरोपी संजय सिंह और अमित ने शराब पी थी और जब अमित ने शराब के लिए रुपये मांगे, तो सिंह ने उसकी हत्या कर दी।
अदालत ने 30 सितंबर को दिए अपने आदेश में कहा, ‘‘अमित का शव और अपराध में इस्तेमाल हथियार यानी ईंट आरोपी के किराए के कमरे में पाए गए।’’
अदालत ने कहा कि आरोपी इस बात का जवाब नहीं दे पाया कि उसके कमरे से शव और ईंट कैसे बरामद हुईं, साथ ही वह यह भी नहीं बता सका कि उस व्यक्ति की मौत किन परिस्थितियों में हुई।
अमित की पत्नी ने बयान में कहा था उनके पति को आखिरी बार संजय सिंह के साथ देखा गया।
अदालत ने मकान मालिक की गवाही को विश्वसनीय पाया। सिंह ने मकान मालिक के सामने कथित तौर पर अमित की हत्या करने की बात कबूल की थी।
अदालत ने कहा कि हत्या के लिए आरोपी के मकसद को साबित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अभियोजन पक्ष ने उसके खिलाफ उचित संदेह से परे अपना मामला साबित कर दिया है।
इसने माना कि अभियोजन पक्ष ने अमित की पत्नी और मकान मालिक के बयानों की पुष्टि अन्य स्वतंत्र और पुलिस गवाहों, मेडिकल, फॉरेंसिक और अन्य साक्ष्यों के साथ की थी।
इसमें कहा गया, ‘‘परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ‘‘कड़ियों’’ को जोड़कर आरोपी का अपराध साबित किया।’’