
Assam: असम के कामरूप (महानगर) जिले के कोचुटोली गांव में ‘‘अतिक्रमण की जमीन’’ खाली करने की समयसीमा सोमवार को समाप्त होने के मद्देनजर बड़ी संख्या में परिवारों ने अपने घरों को खाली करना शुरू कर दिया है। इसी गांव में हाल में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान हिंसा हुई थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
ग्रामीण अपने सामान और मवेशियों के साथ वाहनों में जाते दिखे।
अधिकारियों ने बताया कि ये ग्रामीण जनजातीय क्षेत्रों में ‘‘अवैध तरीके से बस गए थे’’।
उन्होंने कहा कि कथित रूप से अतिक्रमण करने वालों में से अधिकतर के पास दरांग, मोरीगांव और बारपेटा जैसे अन्य जिलों में जमीनें हैं और उन्होंने अपने-अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है।
कामरूप (महानगर) जिला अधिकारियों ने कोचुटोली गांव खाली करने की समय सीमा 16 सितंबर तय की है।
अधिकारियों ने कहा कि ‘‘अवैध रूप से सरकारी जमीन कब्जाने’’ वालों को निकासी नोटिस जारी किया गया है और समयसीमा खत्म होने के बावजूद वहां रुकने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सोनापुर क्षेत्र कार्यालय से एक टीम और पुलिस बांग्लाभाषी मुस्लिम ग्रामीणों को निकालने के लिए कोचुटोली गांव गई थी। इससे पहले भी इन लोगों को अतिक्रमित जमीन से हटाया गया था लेकिन वे वहां पुन: आ गए थे।
निकासी मुहिम के दौरान 12 सितंबर को महिलाओं समेत ग्रामीणों ने अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियारों से हमले किए थे तथा पथराव किया था।
हिंसा में दो ग्रामीणों की मौत हो गई और 22 सरकारी अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों समेत 35 से ज्यादा लोग घायल हो गए। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने गोलीबारी की थी।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि जनजातीय इलाकों और ब्लॉक से जुड़े कानून तब बनाए गए थे जब 1950 में गोपीनाथ बोरदोलोई पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे और तब से यह विशेष क्षेत्र जनजातीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
शर्मा ने कहा कि इलाके में निकासी अभियान जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग जनजातीय क्षेत्र और ब्लॉक के सभी अतिक्रमित क्षेत्र को खाली करा लेंगे।’’
शर्मा ने आरोप लगाया था कि ‘‘कांग्रेस ने लोगों को ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर हमले करने के लिए भड़काया था।’’
पुलिस महानिदेशक जी. पी. सिंह ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमला एक खास वर्ग द्वारा रची गई ‘‘साजिश’’ का मामला हो सकता है क्योंकि नौ सितंबर को अभियान शांतिपूर्ण रहा था।
इस बीच, कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायकों के अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों को निकासी समर्थक जनजातीय संगठनों ने शनिवार को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने ‘‘सरकारी भूमि से निकासी के लिए प्रासंगिक नोटिस जारी नहीं करके अदालती आदेशों का उल्लंघन किया है।’’