बहुत से विकलांग व्यक्तियों के लिए, रोमांचक खेलों में शिरकत करना एक दूर का सपना रहा है. रुकावटें शारीरिक कम, समाज की सोच में अधिक थीं. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. विकलांगजन अब पहली बार समुद्र में ग़ोता लगा रहे हैं, पहाड़ी रास्तों पर पैदल यात्राएँ कर रहे हैं, साइकिल चला रहे हैं और दौड़ में हिस्सा ले रहे हैं. वे अपनी क्षमताओं के नए रूपों को पहचान रहे हैं और आज़ादी की एक बिल्कुल नई अनुभूति का अनुभव कर रहे हैं.