यह बयान तब आया जब कुछ घंटे पहले ही कबीर ने बेलडांगा में बाबरी मस्जिद जैसी दिखने वाली एक मस्जिद का नींव पत्थर रखा। यह कार्यक्रम भारी सुरक्षा के बीच हुआ और 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी पर आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद नींव पत्थर रखने का समारोह हुआ