
Haryana Elections: कांग्रेस हरियाणा में फिर शिकस्त खा गई है। राज्य में सत्ता विरोधी जैसी लहर की चर्चाओं, पहलवान और किसान के मुद्दे को भुनाने की कोशिश के बावजूद कांग्रेस को करारी हार मिली है। हरियाणा हारने के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे एक्शन में आ गए हैं और उन्होंने दिल्ली में हरियाणा के बड़े नेताओं को मीटिंग के लिए बुला लिया है। सबसे अहम ये है कि इस बैठक से मल्लिकार्जुन खड़गे ने 3 बड़े चेहरों को दूर रखा है।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का आकलन करने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बैठक कर रहा है। हरियाणा हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व के साथ प्रदेश नेताओं की पहली बैठक है। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी मौजूद रहे। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश अध्यक्ष उदय भान, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रभारी दीपक बाबरिया और हरियाणा के ऑब्जर्वर अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा बैठक में शामिल हुए। कुमारी शैलजा, रणदीप सुरेजवाला और कैप्टन अजय यादव को बैठक के लिए नहीं बुलाया गया था। अजय माकन के बयान से इसकी पुष्टि होती है।
अजय माकन 3 नेताओं के सवाल पर साध गए चुप्पी!
हरियाणा के 3 नेताओं को नहीं बुलाए जाने पर जब अजय माकन से सवाल पूछा गया तो वो बहुत छोटा जरूर देकर चलते बने। अजय माकन ने अपने जवाब में कहा कि जिन-जिन को बुलाया गया था वो सब यहां आए। अजय माकन ने खड़गे के आवास पर हुई हरियाणा के नेताओं की बैठक में कुमारी शैलजा, रणदीप सुरेजवाला और कैप्टन अजय यादव को नहीं बुलाने जाने के कारणों पर चुप्पी साध ली।
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चुनाव में भी शैलजा को कांग्रेस ने नहीं दी तवज्जो
सिर्फ यही नहीं, चुनाव के दौरान भी कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी शैलजा की महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार किया। वो खुद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं। एक दलित चेहरे के रूप में वो मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावेदारी ठोक रही थीं। हालांकि कांग्रेस ने शैलजा गुट को ना टिकट दिया और ना ही बड़े कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया।
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा गुट के बीच लड़ाई जगजाहिर है। इन गुटों में भूपेंद्र हुड्डा के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान खड़े रहे हैं, जबकि कुमारी शैलजा के साथ रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं को गिना जाता है। इसमें एक अहम रोल कांग्रेस हाईकमान का रहा है। हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान भूपेंद्र हुड्डा गुट के साथ खड़ा नजर आता है, जिसका उदाहरण चुनावों में टिकट बंटवारे के समय देखा गया। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के 89 उम्मीदवारों में से 72 हुड्डा के वफादार थे। जबकि कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला मुट्ठीभर समर्थकों को ही टिकट दिला पाए थे। टिकट बंटवारे के अलावा भी अन्य मुद्दों पर कांग्रेस हाईकमान भूपेंद्र हुड्डा का पक्षधर दिखा है। बहरहाल, कांग्रेस हाईकमान ने 3 बड़े नेताओं को साइड करके एक्शन के रूप में एक संकेत देने की कोशिश की है।
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