मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु द्वारा दायर उस याचिका पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें यहां एक विशेष अदालत के समक्ष उनके खिलाफ लंबित मानहानि की शिकायत को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन ने अप्पावु द्वारा दायर याचिका पर बिना कोई तारीख बताए फैसला सुरक्षित रखा। उन्होंने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) अधिवक्ता शाखा के संयुक्त सचिव एम. बाबू मुरुगावेल द्वारा दायर मानहानि की शिकायत को रद्द करने का अनुरोध किया।
अप्पावु की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने सुनवाई के दौरान कहा कि अध्यक्ष द्वारा कथित तौर पर दिए गए बयान को ज्यादा से ज्यादा सूचना माना जा सकता है और यह शिकायतकर्ता के खिलाफ निर्देशित नहीं था।
अप्पावु ने अपनी याचिका में कहा कि बाबू मुरुगावेल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि पिछले साल नवंबर में यहां एक पुस्तक विमोचन समारोह में याचिकाकर्ता (अप्पावु) ने यह दावा करते हुए अन्नाद्रमुक को बदनाम किया कि पार्टी से संबंधित 40 विधायक दिसंबर 2016 में अपनी दिवंगत नेता जे जयललिता के निधन के बाद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) में शामिल होने वाले थे।
अप्पावु ने कहा कि इसलिए बाबू मुरुगावेल ने दावा किया है कि याचिकाकर्ता ने ऐसा भाषण देकर भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 के तहत अपराध किया।
विल्सन ने दलील दी कि बयान 40 विधायकों के खिलाफ था और उनमें से किसी का भी नाम नहीं लिया गया था। शिकायतकर्ता के पास शिकायत दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। यह घटना 2015 और 2016 के बीच की है। विल्सन ने कहा कि उस समय शिकायतकर्ता खुद अन्नाद्रमुक में नहीं था और 2018 में पार्टी में शामिल हुआ।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता पीड़ित पक्ष नहीं था। भले ही अन्नाद्रमुक पीड़ित पक्ष हो, लेकिन शिकायतकर्ता के पास शिकायत दर्ज कराने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए अधिकृत नहीं किया है।
बाबू मुरुगावेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जॉन सत्यन ने कहा कि शिकायतकर्ता को अन्नाद्रमुक ने प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया था। शिकायतकर्ता अन्नाद्रमुक की अधिवक्ता शाखा के संयुक्त सचिव थे।
इसके अलावा, शिकायतकर्ता पार्टी की कानूनी सलाहकार समिति के सदस्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि इसलिए, उनके पास शिकायत दर्ज कराने का पूरा अधिकार है।
जॉन सत्यन ने कहा कि जब अप्पावु ने निराधार बयान दिया है, तो शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज करानी होगी क्योंकि वह पार्टी में एक जिम्मेदार पद पर हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का बयान से विधायकों का मनोबल गिरेगा।