
Bhagat Singh Grandson on Ramleela: देश की आजादी के लिए यूं तो कई वीरों ने शहादतें दी हैं, लेकिन शहीद-ए-आजम भगत सिंह (Bhagat Singh) का नाम हमेशा सबसे ऊपर लिया जाता है।
महज 24 साल की उम्र में देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले भगत सिंह (Bhagat Singh) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, लेकिन ये भी सच है कि आज के जमाने के बच्चे उनके बारे में बहुत कम जानते हैं। भगत सिंह (Bhagat Singh) की वीर गाथाओं को किताबों में तो पढ़ाया जाता है, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं कुछ गैप दिख रहा है, जिसे भरने का काम कर रहे शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पोते यादविंदर सिंह (Yadvinder Singh)।
यादविंदर सिंह (Yadvinder Singh) अपने परिवार और शहीद भगत सिंह ब्रिगेड की मदद से बच्चों को भगत सिंह (Bhagat Singh) से प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। यादविंदर सिंह गुरुवार को पश्चिमी दिल्ली की सबसे पुरानी रामलीलाओं में शुमार नीलकमल रामलीला में पहुंचे, जहां उन्होंने नौजवानों और बच्चों को देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और अपने दादा भगत सिंह के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया।
दरअसल नीलकमल रामलीला का आयोजन पीरागढ़ कैंप इलाके में हो रहा है, जहां पंजाब के हिंदु शरणार्थी रहते हैं। भगत सिंह के पोते यादविंदर सिंह ने रामलीला के मंच से ऐलान किया कि वो यहां के बच्चों और नौजवानों को भगत सिंह के प्रति प्रेरित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।
उन्होंने बताया कि कैसे वो खुद नौजवानों और बच्चों के बीच जाकर उन्होंने शहीद-ए-आजम के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। वहीं उन्होंने नौजवानों को नशे से दूर करने को लेकर चलाए जा रहे अभियान के बारे में भी बताया।
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