
Ratan Tata Funeral: भारत के दिग्गज बिजनमैन और टाटा ग्रुप के मालिक 9 अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह गए। इस तरह से अचानक उनके चले जाने से पूरा देश गमगीन है। हर कोई रतन टाटा को नम आखों से विदाई दे रहा है। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली में शाम करीब 4 बजे किया जाएगा। इस बीच दिग्गज कारोबारी का अंतिम संस्कार (Ratan Tata Funeral) हिंदू या फिर पारसी किस रीति रिवाज से होगा, आईए बताते हैं।
रतन टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार रात अंतिम साांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में होगा। इससे पहले करीब 45 मिनट तक उनके लिए प्रेयर होगी। आपको बता दें कि पारसियों के रीति-रिवाज बिल्कुल अलग होते हैं। पारसी समाज में अंतिम संस्कार के रीति रिवाज हिंदू और मुस्लिमों से कैसे अलग हैं चलिए जानते हैं।
पारसी समुदाय में क्या है अंतिम संस्कार के नियम?
रतन टाटा पारसी समुदाय से आते हैं। पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के नियम बेहद अलग है। पारसियों में अंतिम संस्कार की परंपरा 3 हजार साल पुरानी हैं। इनमें न तो शव को जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है। पारसी धर्म में मौत के बाद शव को पारंपरिक कब्रिस्तान जिसे टावर ऑफ साइलेंस या दखमा कहते हैं, वहां खुले में गिद्धों के खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
किस रीति-रिवाज से होगा रतन टाटा का अंतिम संस्कार?
हालांकि अगर टाटा के ‘रत्न’ यानि रतन टाटा की बात करें तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना महामारी के समय शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों में बदलाव हुए थे। उस दौरान पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार के रीति रिवाजों पर रोक लगा दी गई थी।
यह भी पढ़ें: ‘मेरे बारे में सोचने के लिए शुक्रिया’, Ratan Tata का वो आखिरी पोस्ट; जिसे देख अब दुखी हो रहे लोग