
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को स्थानीय स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से मंगलवार को इनकार कर दिया और कहा कि यह केंद्र का अधिकार क्षेत्र है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह मामला सुरक्षा और राष्ट्रीयता पर प्रभाव डालने वाले ‘‘अंतरराष्ट्रीय मुद्दों’’ से संबंधित है, इसलिए याचिकाकर्ता को केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष एक अभ्यावेदन देना चाहिए।
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ ने कहा कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आधार कार्ड के अभाव में म्यांमा के इन बच्चों को अपने स्कूलों में दाखिला नहीं दे रहे हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर अधिकारी यथाशीघ्र निर्णय लेंगे।
पीठ ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय को इस पर निर्णय लेने दें। इसमें कई मुद्दे शामिल हैं। हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। इस मामले को गृह मंत्रालय के समक्ष जाने दें।’’ न्यायालय ने कहा कि रोहिंग्या विदेशी हैं, जिन्हें आधिकारिक और कानूनी रूप से भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है।