
कन्नूर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट नवीन बाबू की आत्महत्या के मामले में आरोपी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता पी. पी. दिव्या को मंगलवार को केरल पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने से कुछ घंटे पहले एक अदालत ने दिव्या की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
कन्नूर शहर के पुलिस आयुक्त अजित कुमार ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘उन्हें (दिव्या) हिरासत में ले लिया गया है।’’ मामले में दिव्या पर नवीन बाबू को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।
इससे पहले दिन में थालास्सेरी के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के. टी. निसार अहमद ने दिव्या की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। दिव्या 14 अक्टूबर को कथित रूप से बिना आमंत्रण के बाबू के विदाई समारोह में शामिल हुई थीं और चेंगलाई में एक पेट्रोल पंप की मंजूरी में कई महीनों की देरी करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की थी। साथ ही दिव्या ने टिप्पणी की थी कि उन्होंने स्थानांतरण के दो दिन बाद ही इसकी मंजूरी दे दी थी। इस तरह से दिव्या ने इसका संकेत दिया था कि वह अचानक इस मंजूरी के पीछे के कारणों को जानती हैं।
इसके अगले दिन बाबू कन्नूर स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे। आत्महत्या के सिलसिले में दिव्या के खिलाफ मामला दर्ज होने के बावजूद उन्हें हिरासत में लेने में कथित देरी के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए आयुक्त ने कहा, “हमने मामले में इसलिए हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि यह न्यायिक विचाराधीन था।”
उन्होंने कहा कि 38 पन्नों का आदेश था और उसके आधार पर, ‘‘जैसे ही अग्रिम जमानत याचिका खारिज हुई, हमने आरोपी का पता लगाने के लिए अपनी टीम भेजी और इस प्रक्रिया में उसे हिरासत में ले लिया।’’ अदालत ने दिव्या की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ‘‘परिस्थितियां ही उसे गिरफ्तारी-पूर्व जमानत की राहत से वंचित करती हैं।’’
अदालत ने अपने आदेश में, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता (दिव्या) का कृत्य एक पूर्व नियोजित और सोचा-समझा था, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक उच्च प्रतिष्ठित उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी का अपमान करना और उसे अपमानित करना था।
अदालत ने कहा, ‘‘जैसा कि सरकारी वकील ने कहा है, यदि ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तारी-पूर्व जमानत की राहत दी जाती है, तो निश्चित रूप से इससे समाज को गलत संदेश जा सकता है। उसकी राजनीतिक शक्ति को देखते हुए कोई यह अनुमान लगा सकता है कि उसके द्वारा अपने प्रभाव का उपयोग करके गवाहों को प्रभावित करने की पूरी आशंका है।’’
अदालत ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि अग्रिम जमानत एक असाधारण विशेषाधिकार है जिसे केवल असाधारण मामले में ही दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता, आरोपी द्वारा निभायी गई सक्रिय भूमिका सहित सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद, उसकी राय है कि यह गिरफ्तारी-पूर्व जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।
अदालत ने दिव्या की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाई कि यह एक असाधारण मामला है और उसे गिरफ्तारी से पहले जमानत मिलनी चाहिए।’’
एडीएम को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 108 के तहत मामला दर्ज किए जाने के बाद दिव्या ने 19 अक्टूबर को थालास्सेरी सत्र अदालत का रुख किया था।
माकपा की जिला समिति सदस्य दिव्या को गिरफ्तार करने के लिए वाम सरकार पर दबाव बढ़ गया था। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बाबू की पत्नी मंजूषा ने कहा, ‘‘हमारे जीवन को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और हम न्याय पाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।’’
मंजूषा ने पथनमथिट्टा जिले के मलयालप्पुषा में अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है, लेकिन हम न्याय के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।’’ घटना के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, तहसीलदार मंजूषा ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच जरूरी है कि रिश्तेदारों के आने से पहले बाबू का पोस्टमार्टम करने में लापरवाही हुई या नहीं।
उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर को दिव्या को कन्नूर कलेक्ट्रेट में विदाई समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि एक स्थानीय चैनल के माध्यम से दिव्या के भाषण को रिकॉर्ड करना भी अनुचित था।
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि अदालत द्वारा दिव्या की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने के बाद उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में ‘एक गिरोह’ दिव्या को बचा रहा है।