
केरल की एक अदालत ने करीब चार वर्ष पहले पलक्कड़ के थेनकुरुसी में झूठी शान के लिए 27 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दो लोगों को सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र न्यायालय-एक के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनायक राव आर ने आरोपी प्रभु कुमार और सुरेश को व्यक्ति की हत्या के लिए दोषी पाया।
प्रभु कुमार ने अपनी बेटी के पति की हत्या की थी। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि जुर्माना अदा न करने पर दोनों आरोपियों को दो साल सश्रम कारावास की सजा दी जानी चाहिए। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराधों के लिए आरोपियों को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई।
यह घटना 25 दिसंबर, 2020 को हुई। अनीश की हत्या उसकी पत्नी के पिता प्रभु कुमार और चाचा सुरेश ने विवाह के 88 दिन बाद ही कर दी थी। अनीश दूसरी जाति का था। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि अनीश की हरिता से शादी हत्या का कारण थी।
हरिता, आर्थिक और जातिगत विशेषाधिकार वाले परिवार से ताल्लुक रखती है। अदालत पहुंचे हरिता और अनीश के माता-पिता ने फैसले पर निराशा व्यक्त की और कहा कि वे अपील के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
अदालत के बाहर नम आंख लिये हरिता ने संवाददाताओं से कहा, “हमें उम्मीद थी कि आरोपियों को या तो मौत की सजा मिलेगी या कम से कम दोहरे आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। उनके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता के लिए यह सजा बहुत कम है।”
हरिता ने आरोप लगाया कि उसे मुकदमे के दौरान उसके परिवार से मौत की धमकियां मिली थीं अनीश के माता-पिता ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि वे वर्तमान फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए सरकार से संपर्क करेंगे।
मृतक के पिता ने कहा, “आरोपियों को अब भी कोई पछतावा नहीं है और वे अभी भी दावा करते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। उन्होंने मेरे बेटे को बेरहमी से मार डाला। वे अधिक सजा के हकदार हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।”